5 SIMPLE STATEMENTS ABOUT SHIV CHALISA LYRICSL EXPLAINED

5 Simple Statements About shiv chalisa lyricsl Explained

5 Simple Statements About shiv chalisa lyricsl Explained

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शिव चालीसा - जय गिरिजा पति दीन दयाला । सदा करत सन्तन प्रतिपाला.

किया तपहिं भागीरथ भारी। पुरब प्रतिज्ञा तासु पुरारी॥

त्रिपुरासुर सन युद्ध मचाई। सबहिं कृपा कर लीन बचाई॥

Whosoever presents incense, prasad and performs arti to Lord Shiva, with love and devotion, enjoys material pleasure and spiritual bliss During this globe and hereafter ascends on the abode of Lord Shiva. The poet prays that Lord Shiva removed the suffering of all and grants them Everlasting bliss.

किया तपहिं भागीरथ भारी। पुरब प्रतिज्ञा तसु पुरारी॥

किया उपद्रव तारक भारी। देवन सब मिलि तुमहिं जुहारी॥

ॠनियां जो कोई हो अधिकारी। पाठ करे सो पावन हारी॥

अर्थ: हे शिव शंकर भोलेनाथ आपने ही त्रिपुरासुर (तरकासुर के तीन पुत्रों ने ब्रह्मा की भक्ति कर उनसे तीन अभेद्य पुर मांगे जिस कारण उन्हें त्रिपुरासुर कहा गया। शर्त के अनुसार भगवान शिव ने अभिजित नक्षत्र में असंभव रथ पर सवार होकर असंभव बाण चलाकर उनका संहार किया था) के साथ युद्ध कर उनका संहार किया व सब पर अपनी कृपा की। हे भगवन भागीरथ के तप से प्रसन्न हो कर उनके पूर्वजों की आत्मा को शांति दिलाने की उनकी प्रतिज्ञा को आपने पूरा किया।

नमो नमो दुर्गे सुख करनी। नमो नमो दुर्गे दुःख हरनी॥ निरंकार है ज्योति तुम्हारी। तिहूँ लोक फैली उजियारी॥

संकट से मोहि आन उबारो ॥ मात-पिता भ्राता सब होई ।

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त्रयोदशी ब्रत करे हमेशा। तन नहीं ताके रहे कलेशा॥

क्षमहु नाथ अब चूक हमारी ॥ शंकर हो संकट के नाशन ।

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